कक्षा चौथी विषय हिन्दी पाठ 3 सावन आगे छत्तीसगढ़ी
शिक्षण-संकेत : ए पाठ ल पढ़ाऐ के पहिली गुरुजी लइका मन ल चउमास के बारे म थोरकुन जानकारी देवय । गुरुजी बरसा ऋतु के बारे म कोनो छत्तीसगढ़ी गीत कक्षा म गाय । एकर तियारी घरे म कर लेवय। कोनो छत्तीसगढ़ी कविता ल राग लगाके पढ़ के सुनावॅय । तहाँ ले पाठ के कविता ल घलो सुर-सुराँवट ले पढ़के बतायँय। लइका मन ल घलो राग लगाके पढ़े बर प्रेरित करेंय। अइसन कर ले लइका मन ल मजा आही अउ कविता झपकुन याद हो जाही।
बादर ऊपर बादर छागे।
चल भइया, अब सावन आगे।।
अब तरसे-मन हा नइ तरसे,
रिमझिम-रिमझिम पानी बरसे,
अइसे लगथे अब किसान ला,
जइसे दाई थारी परसे।
सब किसान के सुसी बुतागे।
अलकरहा बिजली जब बरथे,
बुडर -घुडुर तब बादर करथे,
बछरू दँउड़े पुंछी टाँगके.
मनखे ऊपर ठाड़ अभरथे,
इदर हजस गोली दागे।
=उड़े लागिन माढ़े नरवा,
चूहय लागिन छानी-परवा,
कती-कती के काम ल देखे,
हवय जे मनखे ह एकसरुवा,
पल्ला मार के ढोंड़गी भागे।
बादर आँसो नइ हे लबरा,
भरगे भइया खेंचवा-डबरा,
देखव डोली भरे लबालब,
भुइँया ह हरियागे जबरा,
नवा-नेवरनिन दुलहिन लागे।
बादर ऊपर बादर छागे।
चल भइया, अब सावन आगे।।
कठिन शब्दों के हिन्दी अर्थ
ठाड़ – सीधे, अभरथे- टकराता है, माढ़े स्थिर/रखा हुआ, नरवां – नाला,
आँसो – इस वर्ष, खंचवा – छोटा गड्ढा, डबरा – बड़ा गड्ढा, डोली – खेत,
सुग्घर – सुन्दर, एकसरूवा – अकेला।
प्रश्न अउ अभ्यास
कविता ल पढ़ाय के पाछू गुरुजी ह लइका मन ले कुछु मुँहअखरा प्रश्न पूछंय। लइका मन ल दू दल म बाँट के उहू मन ल कहय के उहू मन एक-दूसर ले प्रश्न करय। प्रश्न मन ह अइसन हो सकत हैं-
- सावन के आगू-पाछू कोन-कोन महीना होथे ?
- सावन कोन ऋतु म आथे ?
- ये कविता कोन भाषा म लिखे गे हवय ?
- सावन म कोन-कोन तिहार मनाय जाथे?
प्रश्न 1 खाल्हे लिखाय प्रश्न के उत्तर लिखव-
- पानी के बरसना ल देख के किसान ल कइसे लगथे?
- बादर म बिजली कइसे चमकथे?
- बिजली चमके के पाछू बादर म कइसे अवाज होथे?
- बादर के गरजना ह कवि ल कइसे लगथे?
- बछरू ह मनखे ऊपर काबर अभरथे?
- सावन आथे त माढ़े नरवा का करथे?
- भुइँया हरिया जाथे त काकर सही दिखथे?
- “आँसो बादर नइ हे लबरा” काबर केहे गे हवय ?
बादर ऊपर बादर छागे।
चल भइया, अब सावन आगे।।
अब तरसे-मन हा नइ तरसे,
रिमझिम-रिमझिम पानी बरसे,
अइसे लगथे अब किसान ला,
जइसे दाई थारी परसे।
सब किसान के सुसी बुतागे।
अलकरहा बिजली जब बरथे,
बुडर -घुडुर तब बादर करथे,
बछरू दँउड़े पुंछी टाँगके.
मनखे ऊपर ठाड़ अभरथे,
इदर हजस गोली दागे।
=उड़े लागिन माढ़े नरवा,
चूहय लागिन छानी-परवा,
कती-कती के काम ल देखे,
हवय जे मनखे ह एकसरुवा,
पल्ला मार के ढोंड़गी भागे।
बादर आँसो नइ हे लबरा,
भरगे भइया खेंचवा-डबरा,
देखव डोली भरे लबालब,
भुइँया ह हरियागे जबरा,
नवा-नेवरनिन दुलहिन लागे।
बादर ऊपर बादर छागे।
चल भइया, अब सावन आगे।।
कठिन शब्दों के हिन्दी अर्थ
ठाड़ – सीधे, अभरथे- टकराता है, माढ़े स्थिर/रखा हुआ, नरवां – नाला,
आँसो – इस वर्ष, खंचवा – छोटा गड्ढा, डबरा – बड़ा गड्ढा, डोली – खेत,
सुग्घर – सुन्दर, एकसरूवा – अकेला।
प्रश्न अउ अभ्यास
कविता ल पढ़ाय के पाछू गुरुजी ह लइका मन ले कुछु मुँहअखरा प्रश्न पूछंय। लइका मन ल दू दल म बाँट के उहू मन ल कहय के उहू मन एक-दूसर ले प्रश्न करय। प्रश्न मन ह अइसन हो सकत हैं-
- सावन के आगू-पाछू कोन-कोन महीना होथे ?
- सावन कोन ऋतु म आथे ?
- ये कविता कोन भाषा म लिखे गे हवय ?
- सावन म कोन-कोन तिहार मनाय जाथे?
प्रश्न 1 खाल्हे लिखाय प्रश्न के उत्तर लिखव-
- पानी के बरसना ल देख के किसान ल कइसे लगथे?
- बादर म बिजली कइसे चमकथे?
- बिजली चमके के पाछू बादर म कइसे अवाज होथे?
- बादर के गरजना ह कवि ल कइसे लगथे?
- बछरू ह मनखे ऊपर काबर अभरथे?
- सावन आथे त माढ़े नरवा का करथे?
- भुइँया हरिया जाथे त काकर सही दिखथे?
- “आँसो बादर नइ हे लबरा” काबर केहे गे हवय ?